Yug Purush

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8TH SEMESTER ! भाग- 95( New War-5)

उस लड़के से मिलने के बाद मैं पूरे दिन बीच-बीच मे अपना मोबाइल चेक करता रहा कि कही कोई मेस्सेज तो नही आया है...लेकिन मेरी इस मेहनत का रिज़ल्ट ज़ीरो निकला...ना ही किसी का कॉल आया और ना ही कोई मेस्सेज....

"पक्का भूल गया होगा उल्लू..."फ्रस्टेशन मे मैने कहा और बाल्कनी के पास आकर एक सिगरेट सुलगाई ..

सिगरेट के कश मारते हुए मैने एक नज़र निशा के घर की तरफ डाली....पूरे कॉलोनी मे निशा का घर अलग से ही दिख रहा था, उसके घर का स्ट्रक्चर ही कॉलोनी के दूसरे फ्लैट  से अलग और विशाल था...जिस वजह से यदि कोई उस तरफ से गुज़रे तो उसकी नज़र निशा के आलीशान घर पर पड़ ही जाती थी.खानदानी रहीस होना भी बहुत सुकून देता है...ना तो कोई टेन्षन और ना ही कोई डिप्रेशन की मेरा फ्यूचर क्या होगा...मैने अपनी ज़िंदगी के चार साल इसी डिप्रेशन मे गुज़ारे थे कि इंजीनियरिंग कंप्लीट होने के बाद मैं क्या करूँगा....लेकिन निशा के साथ ऐसा नही था वो तो अपने माँ-बाप की पूरी जयदाद की अकेली वारिस थी....

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"अबे तू कब आया..."वरुण ने रूम के अंदर आते ही पुछा...

"बस अभी 2-3 घंटे हुए होंगे आए हुए "उसके हाथ मे पैक किए हुए खाने की तरफ देखते हुए मैने जवाब दिया ....

"काम हुआ..."

"1 % हुआ ,99 % बाकी है..."

"मतलब..."

"मतलब कि ये वही विश्वकर्मा है,जिसकी तालश मुझे थी...लेकिन वो अब ये शहर छोड़ कर जा चुका है..."

"तो अब आगे क्या..."

"एक लड़के के पास नंबर है विश्वकर्मा का...उसी के मेसेज का इंतज़ार कर रहा हूँ..."

"मैं क्या बोलता हूँ..."वरुण के हाथ से खाने की पैकेट्स लेकर लार टपकाते हुए अन पैकेट्स को खोलते हुए अरुण ने कहा"पहले खाना खा लेते है..."

"और खाना खाने के बाद सो जाते है और सोने के बाद सब कुछ  भूल जाते है...है ना ,साले भुक्कड़ "

"अबे मेरी पूरी बात तो सुन...पहले खाना खाइंग, देन गोयिंग टू उस चूतिया के रूम,  देन माँगिंग उससे विश्वकर्मा का मोबाइल नंबर, देन कॉलिंग विश्वकर्मा को एंड अट दा एंड कॉलिंग विश्वकर्मा आंड आस्किंग तो हिम अबाउट निशा...क्या बोलता है अरमान ,सॉलिड प्लान है ना..."

"खाने मे क्या है..."एक चेयर खीचकर अरुण के बगल मे बैठते हुए मैने पुछा....
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खाना खाने के बाद हम तीनो वरुण की कार मे सवार होकर ,विश्वकर्मा के अड्रेस की तरफ बढ़े , उसके रूम का दरवाज़ा बंद था और जब मैने दरवाज़ा खटखटाया तो एक दूसरे लड़के ने दरवाज़ा खोला..... मै उसे देखते ही समझ गया की ये वही उसरा लड़का है, जो सुबह रूम से नदारद था और विश्वकर्मा का नंबर इसी के पास है...

"यस..."हमें सामने देखते ही थोड़ा हैरान होकर उसने कहा

"विश्वकर्मा का नंबर है ना आपके पास..."

"हां..लेकिन आप कौन..."

"मैं उसके कॉलेज का दोस्त हूँ...मुझे उसका नंबर देना तो..."

जिसके बाद मैने उसे भी वही कहानी सुनाई, जो सुबह उसके रूम पार्टनर को सुनाई थी. जिसके बाद उस लड़के से विश्वकर्मा का नंबर लेने के बाद मैने उसे थैंक्स  कहा और वापस वरुण की कार मे बैठकर अपने फ्लैट  की तरफ चल पड़े....मुझसे अब एक पल का भी इंतज़ार नही हो रहा था इसलिए मैने कार मे बैठे-बैठे ही विश्वकर्मा को कॉल किया...
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"हेलो..."

"हेलो..विश्वकर्मा जी बोल रहे है क्या..."

"यस...आप कौन..."दूसरी तरफ से आवाज़ आई...

"आपसे कुछ  पुछना था..."

"क्या..."

"निशा के बारे मे..."

निशा का नाम लेते ही दूसरी तरफ कुछ  देर तक खामोशी छाइ रही...

"Who are you..."ख़ामोशी तोड़ते हुए उसने मुझसे पूछा

"आक्च्युयली मैं आपसे आगे बात करूँ उसके पहले मैं कुछ  पॉइंट क्लियर कर देना चाहता हूँ...जैसे कि मेरी निशा से शादी होने वाली है लेकिन मुझे वो पसंद नही है और मैं कुछ  ऐसा करना चाहता हूँ,जिससे कि निशा से मेरी शादी टूट जाए....अब आप समझ ही गये होंगे कि मैं किस बारे मे बात कर रहा हूँ..."

कुछ  देर तक विश्वकर्मा फिर शांत हो गया और मैं इधर हेलो...हेलो की धुन चिल्लाता रहा....

"हां मैं सुन रहा हूँ..."

"तो बताओ फिर..."

"क्या बताऊ..."

"अपने और निशा के बारे मे..."

"ह्म्म...एक नंबर की रापचिक आइटम है वो बीड़ू...शादी कर ले उससे... उसको मस्त पेलने मे मज़ा आएगा..."

"मेरा सवाल कुछ  दूसरा था..."थोड़ा वजन देकर मैने कहा...

"अब क्या बताऊ यार तेरे को,तू उसका होने वाला हज़्बेंड है...तू मत ही पुछ उसके बारे मे तो बेटर रहेगा..."

"मैं चाहता हूँ कि उससे मेरी शादी ना हो...तो प्लीज़ कोई ऐसी बात बताओ,जिसको सुनने के बाद मेरा काम हो जाए और मेरे घरवाले खुद ही शादी से इंकार कर दे... "
..

विश्वकर्मा फिर कुछ  देर तक चुप रहा और मैं एक बार फिर कुछ  देर तक हेलो...हेलो का राग अलापता रहा....

"सब बता दूं..??."

"हां .. भाई...."

"तो सुनो मेरे लाल...जिससे तेरी शादी होने वाली है ना निशा...उसको अपुन ने सेट किया था और उसकी सील कॉलेज के बाथरूम मे तोड़ी थी...साली बहुत नखरे करती थी..मुझपर हुकुम चलाती थी....कुछ  महीनो तक मुझे जब भी मौका मिलता तो मैं उसे रगड़ता...लेकिन फिर बाद मे वो नाटक करने लगी...अकेले मे मैं जब भी उसके अंगों को सहलाता या दबाता तो साली गुस्सा हो जाती...और एक लड़के का नाम लिया करती की वो उसे बहुत अच्छा लगता है..."

"किस लड़के का..."

"मालूम नही..कुछ  अरखान..अरजान करके नाम था उस लौन्डे का..."

"अरमान...."मैने उसकी याददाश्त को सही करने के लिए अपना नाम बताया...

"हां...हां यही नाम था उस लड़के का जिसका,जिक्र निशा हमेशा करती थी...लेकिन तेरे को उसके बारे मे कैसे मालूम..."

"ठीक वैसे ही जैसे तेरे बारे मे मालूम...आगे बता..."

"तो आगे ये हुआ कि,साली वो कुछ -कुछ  पागल होने लगी...बिस्तर पर अचानक ही वो अरमान नाम लेकर मुझे पुकारती और फिर एक दिन उससे मेरा ब्रेक अप हो गया..."

"उसके बाद..."

"उसके बाद क्या...मैने उसे पूरे कॉलेज मे बदनाम कर दिया कि वो सबसे पेलवाती रहती है...मैने ये तक कॉलेज मे बोला कि उसको तो उसका बाप भी पेलता है....बोले तो एक दम उसकी इज्जत की ऐसी कि तैसी कर दी... अब विश्वकर्मा को धोखा देगी तो परिणाम तो भुगतना पड़ेगा ना... अपने कॉलेज का सबसे बड़ा गुंडा था मै..और निशा पहली लड़की नहीं है..जिसके साथ मैने ऐसा किया है... लिस्ट बहुत लम्बी है....."

"Good.. आपका तो ऑटोग्राफ लेना पड़ेगा... खैर, उसके बाद क्या हुआ "मैने आगे पूछा ...

ये सब सुनते हुए मेरे बॉडी का टेंपरेचर बढ़ने लगा था और यदि विश्वकर्मा इस वक़्त मेरे सामने होता तो वरुण की पूरी कार उसके पिछवाड़े मे घुसा देता.....

"उसके बाद क्या...साली पागल हो गयी और जब तक मैं कॉलेज मे रहा उसकी बराबर लेता रहा...आलम तो ये था मेरे लाल कि पूरा कॉलेज आखिरी दिनों मे उसे वेश्या कहने लगा था...."

"और तूने कुछ  नही किया..."

"ना...मैं क्यूँ कुछ  करूँगा...मुझे तो ये सब देखकर बहुत मज़ा आता था....मेरा मन करता था कि साली को सबके सामने नंगा करके बेल्ट से खूब मारू और फिर उसके मुँह मे घुसा दू ....वैसे तेरा नाम क्या है..."

"अरमान.."

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